*******ग़ज़ल

हम हैं भारत के निवासी, न दगा देते हैं
अपने आचार से ही खुद का पता देते हैं।

वक़्त आने पे तो हम खून बहा देते हैं
सिर झुकाने से तो बेहतर है कटा देते हैं।

दुश्मनी भी बड़ी सिद्दत से निभाते हैं हम
हम महब्बत से महब्बत का सिला देते हैं।

हम महावीर की उस पूण्य धरा के हैं सुत
अपने भगवान को दिल चीर दिखा देते हैं।

'राम' का रूप दिखाते हैं हर इक बच्चे में
उसकी मुस्कान से मस्ज़िद का पता देते हैं।

उनकी क्या बात करें हम वफ़ा की महफ़िल में
हमको जो देख के दीपक ही बुझा देते हैं।

मद भरी आँख की करते हो किससे तुलना तुम
कोई पूछे जो तो राजीव बता देते हैं।
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फ़िज़ूल टाइम्स
FIJOOLTIMES.BLOGSPOT.COM
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डॉ.राजीव जोशी
बागेश्वर।

Comments

  1. आपकी लिखी रचना आज के "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 11 मार्च 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. लाजवाब गजल....
    वाह!!!

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  3. बढिया गजल है ।

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  4. वाह !!!बहुत खूबसूरत रचना.... सुंदर

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